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Showing posts from May, 2020

श्री गणपति मंगल स्तोत्र

GANPATI MANGAL STOTRA               गणपति  मंगल    स्तोत्र        मंगल करं भज गणपतिं               मानस सदा शिवनन्दनम् ! विघ्नापदं  समकामदम्              ‌ निज जन्मनः परिनन्दनम् !!मं !! गौरी प्रियं गिरिश प्रियं                   गणनायकं वरदायकम्    ! देवाग्रगण्यं गुणनिधिं        ‌         मुनिभिः सतत्  कृत वन्दनम् !! मं !! बुद्धि प्रदं - सिद्धि प्रदं                   ॠद्धि प्रदं विजय प्रदम् ! वारण वदन शुभ सदन  मंगल                  भवन गिरिजा नन्दनम् !!मं !! ज्ञानैकगम्यं ज्ञान तनु                   अज्ञान नाशन पटुतरम् ! प्रणमामि तं तु दिवा  निशे        ...

श्री गणेशअथर्वशीर्ष sri ganesh atharvasirsh

Ganapati Atharvashirsha (Ganapati Upanishad) - In sanskrit            स्वस्तिवाचन    स्वस्ति   न   इन्द्रो   वृद्धश्रवाः  ।  स्वस्ति   नः   पूषा   विश्ववेदाः  । स्वस्ति   नस्तार्क्ष्यो   अरिष्टनेमिः  ।  स्वस्ति   नो   बृहस्पतिर्दधातु  ॥     ॐ   भद्रं   कर्णेभिः   शृणुयाम   देवा  ।  भद्रं  पश्येमाक्षभिर्यजत्राः  । स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाग्‍ँसस्तनूभिरब्यशेमहि  देवहि तं   यदायूः  । ॐ   शान्तिः   शान्तिः   शान्तिः  ॥     ॐ   नमस्ते   गणपतये  ॥१॥ त्वमेव   प्रत्यक्षं   तत्त्वमसि  । त्वमेव   केवलं   कर्ताऽसि  । त्वमेव   केवलं   धर्ताऽसि  । त्वमेव   केवलं   हर्ताऽसि  । त्वमेव   सर्वं   खल्विदं   ब्रह्मासि  । त्वं   साक्षादात्माऽसि   नित्यम्  ॥२॥ ऋतं   वच्मि ...

'मधुराष्टकम्' MADHURASTKAM

श्रीकृष्ण की मधुर छवि के दर्शन कराती स्तुति 'मधुराष्टकम्' वैसे तो धार्मिक ग्रंथों में श्रीकृष्ण की ढेर सारी स्तुतियां मिलती हैं, पर इन सबके बीच 'मधुराष्टकम्' की बात एकदम निराली है. इस छोटी-सी स्तुति में मुरली मनोहर की अत्यंत मनमोहक छवि तो उभरती ही है, साथ ही उनके सर्वव्यापी और संसार के पालनकर्ता होने का भी भान होता है. 'मधुराष्टकम्'  के साथ आगे उसका अर्थ भी दिया गया है... अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 1 ।। श्रीमधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है. उनके होठ मधुर हैं, मुख मधुर है,  आंखें मधुर हैं, हास्य मधुर है. हृदय मधुर है, गति भी गति मधुर है. वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम् चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 2 ।। उनके वचन मधुर हैं, चरित्र मधुर हैं, वस्त्र मधुर हैं, अंगभंगी मधुर है .चाल मधुर है SSS और भ्रमण भी अति मधुर है. श्रीमधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है. वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ । नृत्यं मधुरं सख्यं मधुर...